
जब किसी ठोस को गर्म किया
जाता है, तब उसका ताप बढने लगता हैं और एक नियत उच्च ताप
पर ठोस द्रव में बदलने लगता हैं. इस समय ठोस को दी गई ऊष्मा ठोस का ताप नहीं
बढ़ाती, बल्कि सम्पूर्ण ऊष्मा ठोस द्रव में बदलने में व्यय होती हैं. इस उष्म को गुप्त
ऊष्मा (Latent Heat) कहते हैं. इस समय ठोस का ताप स्थिर रहता हैं.
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गुप्त ऊष्मा क्या हैं : What is Latent Heat
गुप्त ऊष्मा की
परिभाषा – “किसी पदार्थ को दी
गई ऊष्मा की वह मात्रा, जो पदार्थ के ताप को सांत या स्थिर रखते
हुए उसकी अवस्था में परिवर्तन लाती है. वह गुप्त
ऊष्मा (Latent Heat) कहलाती हैं.”
CGS पध्दति में इसका मात्रक कैलोरी प्रति ग्राम तथा MKS
पध्दति में जूल प्रति किग्रा हैं.
गुप्त ऊष्मा के प्रकार : Type of Latent Heat
गुप्त ऊष्मा दो प्रकार के
होते हैं –
·
गलन
की गुप्त ऊष्मा
·
वाष्पन
की गुप्त ऊष्मा
गलन की गुप्त ऊष्मा : Latent Heat of Melting
“किसी पदार्थ के एकांक
द्रव्यमान को, बिना ताप ताप बदले ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में बदलने के लिए
आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को गलन की गुप्त ऊष्मा (Latent
Heat of Melting) कहते हैं” इसे L से व्यक्त करते हैं.
इसका मात्रक कैलोरी प्रति ग्राम या किलो
कैलोरी प्रति किग्रा और SI में जूल प्रति किग्रा
होता हैं.
उदाहरण :- बर्फ की गुप्त
ऊष्मा 80 किलो कैलोरी प्रति किग्रा होता हैं.
वाष्पन की गुप्त ऊष्मा : Latent Heat of Vaporisation
“किसी पदार्थ के एकांक
द्रव्यमान को, बिना ताप बदले द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में
बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को वाष्पन की गुप्त
ऊष्मा (Latent Heat of Vaporistion) कहते हैं.”
इसका मात्रक कैलोरी प्रति ग्राम या किलो
कैलोरी प्रति किग्रा और जूल प्रति किग्रा
हैं.
उदाहरण :- भाप की गुप्त
ऊष्मा 539 किलो कैलोरी प्रति किग्रा होती हैं.
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